*जीवन की समस्या तभी मिटेगी जब आप भगवान का भजन करेंगे*
भगवान शिव जी का माता पार्वती से विवाह संपन्न हुआ श्रद्धा और विश्वास का मिलन हुआ जब तक श्रद्धा और विश्वास हमारे हृदय में ना हों तब तक हम अपने अंतःकरण में विराजित परमात्मा को नहीं पहचान सकते। यह बातें अवधपुरी धाम से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने शिवरीनारायण मठ में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा में व्यास पीठ की आसंदी से अभिव्यक्त की। उन्होंने कहा कि-बेटी की विदाई की बेला बहुत दुखदाई होती है संसार में ऐसा कौन है ? जिसकी आंखें बेटी को विदा करते हुए छलक नहीं जाती। माता मैना ने भगवान शिव जी से हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा कि -हे नाथ ‘उमा’ मेरे प्राण के समान है, इसे अपनी दासी बना कर रखना यदि इससे भूलकर कोई अपराध हो भी जाए तो क्षमा कर देना! जीवन में यदि आप सुख का अनुभव करना चाहते हैं या शांति प्राप्त करना चाहते हैं तो बट वृक्ष के नीचे बैठकर देखना यह विश्वास का प्रतीक है और भगवान शिव विश्वास के स्वरूप हैं। *जो विश्वास की छाया में बैठता है वही शांति को प्राप्त करता है*। माता पार्वती ने सुंदर अवसर जानकर शिवजी से संवाद किया और राम कथा सुनाने का आग्रह भी किया। *पत्नियों को चाहिए कि जब पति किसी चिंता में ना हो, शांत हो, उचित अवसर हो तभी उनसे संवाद करें। पति का भी कर्तव्य है जब पत्नी समीप में आए तो उन्हें आसन दें और उनका आदर करें*। वेद में भगवान को निर्गुण भी कहा गया है और सगुण भी समस्या तब उत्पन्न होती है जब कोई इसे निर्गुण या सगुण ही मान लेता है। वास्तव में यह दोनों का समन्वय है। आचार्य जी ने कहा कि *तुलसी भगवान को प्रिय है, सबरीनारायण में ठाकुर जी को सुंदर-सुंदर तुलसी मंजरी की जितनी माला मिलती है उतना कहीं भी नहीं* ! एक बात का ध्यान रखना ‘हरी’ से बढ़कर कोई हितैषी आपका नहीं है। *समस्या जीवन की तभी मिटेगी जब आप भगवान के नाम का भजन करेंगे*। गंगा भगवान के चरण से निकली है राम कथा रूपी गंगा उनके आचरण से निकली है। *शिवरीनारायण मठ में श्री रामचरित मानस की गंगा प्रवाहित हो रही है इसमें जिसने डुबकी नहीं लगाया वह अभागा ही है।*
*बढ़ने लगी भीड़ शिवरीनारायण मठ में* श्री शिवरीनारायण मठ में संगीतमय श्री राम कथा के तृतीय दिवस लोगों की काफी भीड़ बढ़ गई जैसे-जैसे कथा आगे बढ़ती जा रही है लोग अपने परिवार सहित यहां भगवान का दर्शन कर कथा श्रवण करके त्रिवेणी संगम में स्नान कर अपना जीवन धन्य बना रहे हैं। महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज हमेशा की तरह मंच पर विराजित थे। संत श्री राम गोपाल दास जी महाराज, दिनेश शर्मा, राघवेंद्र प्रताप सिंह, दिनेश दुबे, बृजेश केसरवानी, निरंजन लाल अग्रवाल, वीरेंद्र तिवारी, पूर्णेन्द्र तिवारी, दिलीप तिवारी,देवा लाल सोनी, कमलेश सिंह, जनपद पंचायत नवागढ़ के अध्यक्ष प्रीति देवी सिंह, राजेश अग्रवाल, शशि केडिया, राधेश्याम शर्मा, अवधेश सिंह, प्रमोद सिंह, हर प्रसाद साहू, श्रवण सिंह, देवकुमार पाण्डेय, चिंताराम कश्यप, गोविंद कश्यप, होरी लाल कश्यप सहित अनेक गणमान्य नागरिक गण इसमें सम्मिलित हुए।